( तर्जं - व्यसनको छोड़ दे प्यारे )
ऐ मानव ! सुनले बात ,
व्यसन को छोड दे सारे !
तेरा और बढेगा नाम ।
प्यारे ! कर नेकी के काम ॥
व्यसन को छोड दे सारे ॥ टेक ॥
गांजा शराब पीकर किसने
जीवन सफल बनाया ?
खाक किया सब तनको धनको ,
आखिर दुर्गति पाया रे ?
लाखों का बिगडा ठाठ |
उतर गये जमराजा के घाट ।
व्यसन को छोड़ दे सारे ॥ १ ॥
जूवा - सट्टा चाय और चुट्टा ,
सब है बट्टा भाई !
इनके मारे कोइ न सुखिया ,
लाखों देत गवाही रे !
समझ बूझकर ले ले मोड ।
हटा दे इस काया के कोड ।
व्यसन को छोड़ दे सारे ॥ २ ॥
आजहि किसने घर बेचा है ,
शोक निभाने अपना ! '
बिन घरबार रहेगा भूखा '
कहा न उसने माने रे !
तू होगा आखिर चोर ।
कहके क्या होगा सिरजोर ?
व्यसन को छोड दे सारे ॥ ३ ॥
चुगली - चहाडी व्यभीचार
की नशा भरी जब सिर में !
कौन करेगा खडा पासमें ?
प्रेम तेरा नहि जी में रे !
कहे तुकड्या सुन ले बात ।
अमर हो प्रभू - भजन के साथ ।
व्यसन को छोड दे सारे ॥ ४ ॥
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